Friday, July 13, 2012

पहले जवान लड़े

पहले जवान लड़े
और सरहद के दोनों तरफ
बसी बस्तियों में
लहूलुहान लाशें पहुचने लगी

अपने जवान बेटों को कन्धा देते देते
बूढ़ों ने भुला दिया घुटने का दर्द
सरहद पर अब ढाल उठाये
बुड्ढ़े लड़ रहे थे

जब बुड्ढ़े भी मर खप चुके
औरतों ने अपने केश खोले
सिने का दुप्पटा कमर पर कसा
स्तनों पर लोहे के कवच चढ़ाये
बच्चों को पीठ के पीछे बाँधा
और ये जानते हुए की
वे घर कभी नहीं लौटेगी
घर के किवाड़ खुले छोड़ सरहद की तरफ चल पड़ी

सरहद के दोनो तरफ
अब बस्तियां वीरान हो चुकी थी
और लड़ने के लिए
सिर्फ
उन रियासतों के राजा बचे थे

उन्होंने एक बंद कमरे में
शांति के संधि-पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए

-अहर्निशसागर-

1 comment:

  1. दूसरी बार पढ़ी, वैसे कि वैसे सुंदर

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